November 24, 2024

पुष्प की अभिलाषा #माखनलाल चतुर्वेदी

पुष्प की अभिलाषा।           #Pushpkiabhilasha

चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,

चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,

मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!

मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!

माखन लाल चतुर्वेदी हिंदी के बहुत ही मशहूर कवि, लेखक और गीतकार के रूप में जाने जाते है। उनकी रचनाए आज भी लोकप्रिय हैं। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका प्रमुख योगदान स्मरणीय हैं।
पुष्प की अभिलाषा कविता आज के समय में भी बहुत लोकपिर्य है।इस कविता की रचना उस समय की गई जब हमारे भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज़ो से भारत की आजादी के लिए लड़ाई कर रहे थे । इस कविता के माध्यम से कवि उनको और भारत की जनता को लड़ाई में सहयोग देने के प्रोत्साहन करते हैं।

आप इस बारे में अपने विचार या इससे सम्बधित अनुभव हमें बताएं। इसके लिए comment बॉक्स में जाएं या हमारी ईमेल आईडी,: igyansetu@gmail.com पर मेल भेजें।

आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका

#Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

View all posts by Bhandari.D.S. →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *