November 24, 2024

सूर्या कांत त्रिपाठी निराला

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध आदि भी लिखे हैं , परंतु  उन्हें विशेषरुप से कविता के कारण ही जाना जाता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कवितायों की सबसे बड़ी विशेषता है, उनका सजीव चित्रण। कोई भाव हो या दुनिया के दृश्य-रूप या प्राकृतिक दृश्य, सभी अलग-अलग लगने वाली बातों को घुला-मिलाकर निराला ऐसा जीवंत चित्र प्रस्तुत  करते हैं कि पढ़ने वाला कविता के माध्यम से ही निराला के मर्म तक पहुँच जाता है। निराला के चित्रों में उनका भावबोध ही नहीं, उनका चिंतन भी समाहित रहता है। इसलिए उनकी बहुत-सी कविताओं में दार्शनिक गहराई उत्पन्न हो जाती है।

निराला जी की  कविता  –  वह तोड़ती पत्थर :  इसमें स्त्री के गुणों जैसे धैर्य, सहनशीलता, स्नेह, ममता, वात्सल्य, परिश्रम  आदि को जैसे कई गुण हैं जिनको कलमबंद किया है। एक मामूली पत्थर तोड़ने वाली के दर्द को, उसके गुणों को जिस सरलता  और शानदार तरीके से बयां किया है वह काबिले तारीफ़ है।

वह तोड़ती पत्थर

वह तोड़ती पत्थर;

देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-

वह तोड़ती पत्थर।

कोई न छायादार

पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;

श्याम तन, भर बंधा यौवन,

नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,

गुरु हथौड़ा हाथ,

करती बार-बार प्रहार:-

सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।

चढ़ रही थी धूप;

गर्मियों के दिन,

दिवा का तमतमाता रूप;

उठी झुलसाती हुई लू

रुई ज्यों जलती हुई भू,

गर्द चिनगीं छा गई,

प्रायः हुई दुपहर :-

वह तोड़ती पत्थर।

देखते देखा मुझे तो एक बार

उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार;

देखकर कोई नहीं,

देखा मुझे उस दृष्टि से

जो मार खा रोई नहीं,

सजा सहज सितार,

सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार।

एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,

ढुलक माथे से गिरे सीकर,

लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा-

“मैं तोड़ती पत्थर।”

—-*****—

Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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