पुष्प की अभिलाषा। #Pushpkiabhilasha
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
माखन लाल चतुर्वेदी हिंदी के बहुत ही मशहूर कवि, लेखक और गीतकार के रूप में जाने जाते है। उनकी रचनाए आज भी लोकप्रिय हैं। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका प्रमुख योगदान स्मरणीय हैं।
पुष्प की अभिलाषा कविता आज के समय में भी बहुत लोकपिर्य है।इस कविता की रचना उस समय की गई जब हमारे भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज़ो से भारत की आजादी के लिए लड़ाई कर रहे थे । इस कविता के माध्यम से कवि उनको और भारत की जनता को लड़ाई में सहयोग देने के प्रोत्साहन करते हैं।
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आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका
#Bhandari.D.S.