November 24, 2024

अकाल और उसके बाद – नागार्जुन. #Nagarjuna

अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास 

कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास 

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त 

कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद 

धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद 

चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद 

कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

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नागार्जुन का असल नाम वैद्यनाथ मिश्र है। शुरू में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखी हैं।वह कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा से प्रभावित कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न रंग रूप और परिस्थितियों का वर्णन है। कविता की विषय-वस्तु के रूप में नागार्जुन ने वास्तव में भारतीय निम्न वर्ग जैसे किसान, मजदूर के संघर्ष को कविता में व्यक्त किया है। वह जनमानस के संघर्ष को कविता में बखूबी दर्शाते हैं। नागार्जुन एक घूमने फिरने वाले व्यक्ति थे। वे कहीं भी ठहरकर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार भाषा के लिए जाने जाते थे।

हिंदी में उनकी बहुत-सी काव्य पुस्तकें हैं।उनकी प्रमुख रचना-भाषाएं मैथिली और हिंदी ही रही हैं। मैथिली उनकी मातृभाषा है । उनके संपूर्ण लेखन के अनुपात में उन्होंने मैथिली में बहुत कम और हिंदी में बहुत अधिक लिखा है। ‘अकाल और उसके बाद’ कविता में जो करुणा और दर्द को अभिव्यक्त नागार्जुन ने किया है वह असाधारण और मार्मिक अभिव्यक्ति है।

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आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका

Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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