October 17, 2024

Transformation of Dr. Richard Alpert(Ex Prof Harvard University )as Ram Dass with the divine blessings of Sri Baba neeb karori ji Maharaj. #kainchidham #neebkarorijimaharaj

आपने बाबा नीब करोरी जी महाराज के बारे में काफी सुना होगा। उनका kainchi dham आज भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में जाना माना नाम है। यह वही महान सन्त थे , जिनके आशीर्वाद से फ़ेसबुक के फाउंडर मार्क ज़ुकरबर्ग को कंपनी के लिए नया मिशन मिला। उन्ही के आग्रह पर एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब भारत में कैंची धाम मंदिर आए। स्टील जॉब कुछ दिन कैंची आश्रम में रुके थे और उन्हें यहां से आध्यात्मिक प्रेरणा मिली थी। इसके अलावा जूलिया रॉबर्ट , मशहूर लेखक डेनियल भी कैंची धाम आ चुके हैं।

हिमालय की गोद में बसा कैची धाम ,अपने पावन , रमणीक वादियों एवं अलौकिक सुंदरता के कारण आगंतुको के मन को शांति प्रदान करता है। भक्तजन यहाँ वर्ष भर आते रहते हैं तथा बाबा नीम करौली के चरणों में श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं।

आज आपको डॉ रिचर्ड अल्पेर्ट की कहानी सुनाते हैं, जो कि बहुत रोचक एवं प्रेरणादायक है।

डॉ रिचर्ड अल्पेर्ट हार्वर्ड विवि में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे।डा. एल्पर्ट का जन्म 6 अप्रैल, 1931 में हुआ। उच्च शिक्षा के बाद वह कैलिफोर्निया और वर्कले विश्विद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। फिर हार्वर्ड विश्विद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर बन गए। उन्होने Leary के साथ मिलकर psychedelic drugs पर शोध किया ।उन्होंने 1962 में “Good Friday Experiment” (the first controlled, double-blind study of drugs and the mystical experience) करने में मदद की। यह सभी काफ़ी विवादास्पद रहा, जिस कारण से उन्हें और Leary को1963 में हार्वर्ड विवि छोड़ना पड़ा। Alpert and Leary फिर न्यूयॉर्क चले गए। उन्होंने मिलकर The Psychedelic Experience with Ralph Metzner नामक किताब लिखी जो कि Tibetan Book of the Dead, पर आधारित थी और 1964 में प्रकाशित हुई।

डॉ Alpert अपनी मां की मृत्यु से बहुत दुखी थे। वे आत्मिक शांति की खोज में भारत आये। भारत में उन्हें भगवान दास नामक अमेरिकी जिज्ञासु मिला जो ज्ञान की खोज में भारत आया था। वह डॉ अल्पेर्ट को नैनीताल के पास स्थित कैंची धाम ले गए। जहां डॉ अल्पेर्ट की मुलाकात बाबा नीब करोरी महाराज जी से हुई। डॉ अल्पेर्ट ने बाबा जी को अपना गुरु बनाया। बाबा नीब करोरी जी ने डॉ अल्पेर्ट को नया नाम दिया- रामदास।

रामदास जी ने अपनी आत्मकथा में नीब करौरी महाराज से अपनी पहली मुलाकात और उनके दिव्य शक्ति के प्रभाव की अनुभूति का विवरण दिया है। बाबा नीब करोरी महाराज ने यह बात उन्हें बता दी थी उनके दिल में मां के लिए क्या बात चल रही थी। इस पर डा. एल्पर्ट बाबा जी के सानिंध्य में खूब रोये और उन्हें असीम शांति का अनुभव हुआ। इसके बाद प्रो. एल्पर्ट ने बाबा जी को अपना गुरु बना लिया। यहां से शुरू हुआ डॉ रिचर्ड अल्पेर्ट का परिवर्तन। वे अब राम दास के नाम से जिंदगी के दिव्य आध्यात्मिक सफर पर निकल पड़े।

उसके बाद करीब डेढ़ साल तक बाबा जी के सानिध्य में रहकर उन्होंने अध्यात्म की दीक्षा ली और योग आदि भी सीखा। उन्होंने हिंदू धर्म को अपनाया ही नही बल्कि हिंदू धर्म का गहन अध्ययन किया। करीब डेढ़ साल बाद राम दास अमेरिका वापस लौटे और बाबा राम दास बन गए। उन्होंने 1974 में अमेरिका में हनुमान फाउंडेशन की स्थपना की, जिसमें सेवा एवं अध्यात्म से सम्बंधित कार्य करने लगे। उसके बाद सेवा फाउंडेशन, नीब करौरी बाबा की स्मृति में लव सर्व रिमेंबर फाउंडेशन जैसी संस्थानों को स्थापित कर लोगों के स्वास्थ्य लाभ और विभिन्न सेवा एवं आध्यत्म के कार्य किए। Love Serve Remember Foundation के द्वारा उन्होने बाबा नीब करोरी जी महाराज द्वारा दिखाये भक्ति मार्ग और उनकी शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।

एल्पर्ट रामदास ने 15 किताबें लिखी हैं। इनमें कई पुस्तकें काफी चर्चित रही हैं। बाबा जी के बारे में लिखी गई , Miracle of Love पुस्तक काफी चर्चित रही है। इस पुस्तक में नीब करोरी बाबा और उनके जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं का विस्तृत वर्णन है। यह पुस्तक पहली बार 1979 में न्यूयॉर्क में प्रकाशित हुई। उसके बाद रामदास ने 1995 में पुस्तक का नया अंक हनुमान फाउंडेशन के माध्यम से पुनः प्रकाशित कराया।

एल्पर्ट रामदास को अमेरिका में कई पुरस्कार भी मिले हैं। 1996 में अमेरिका में शुरु किया गया उनका रेडियो टॉक कार्यक्रम Here and Now with Ram Dass काफी चर्चित हुआ। 1997 में उन्हें लकवा पड़ गया जिससे उनका घूमना, आना जाना काफी कम हो गया लेकिन आखिरी दिनों में भी वह अपनी website, digital media आदि के जरिये बाबा नीबकरोरी के अध्यात्म एवं हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार के लिए काम करते रहे। उन्हीं के शब्दों में- “It’s brought out new aspects of myself and aspects of my relationship to the world,” he said in 1998. The stroke has gotten me into a stage of life – this is a stage close to death, a stage which is inward.”

2013 में Baba Ram Dass ने “Polishing the Mirror: How to Live from Your Spiritual Heart” नामक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने अपने आध्यत्मिक अनुभवों एवं शिक्षाओ को लिखा है। 82 साल की आयु में इसी किताब के बारे में interview देते हुए कहा था : “Now, I’m in my 80s … Now, I am aging. I am approaching death. I’m getting closer to the end. … Now, I really am ready to face the music all around me.”

88 साल की उम्र में उनकी मृत्यु दिनांक 22 दिसम्बर 2019 को हुई। परन्तु वह बाबा नीबकरोरी के भक्तों के लिए आज भी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। बाबा नीबकरोरी के दिखाये भक्ति मार्ग को पूरे संसार में फैलाने में उनके योगदान को इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

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आशा है डॉ रिचर्ड अल्पेर्ट का बाबा राम दास के रूप में परिवर्तन की यह कहानी आपको पसंद आयी होगी। बाबा नीब करोरी जी महाराज की आध्यात्मिक शक्ति एवं शिक्षा के बारे में आपको जो जानकारी दी गई है, उसके बारे में आप अपने विचार या इससे सम्बधित अनुभव हमें बताएं। इसके लिए comment बॉक्स में जाएं या हमारी ईमेल आईडी,: igyansetu@gmail.com पर मेल भेजें।
आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका

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Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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