दोस्तों पंचतंत्र के पहले तंत्र (भाग) मित्रभेद में से एक प्रेरणाप्रद कहानी आज आपको बताते हैं। कहानी का विषय है: मूर्ख बातूनी कछुआ । अंत में यह भी चर्चा करेंगे कि इससे क्या सीख मिलती है।
प्राचीन समय की बात है, जंगल में एक तालाब में एक कछुआ रहता था। उसी तलाब में दो हंस रोज आते थे और दिन में खूब तैरते थे। दोनों हंस बहुत हंसमुख स्वभाव के और मिलनसार थे। धीरे धीरे कछुए और दोनों हंसों में गहरी दोस्ती हो गई। हंसो को कछुए का अहिस्ता चलना और उसका सीधापन अच्छा लगने लगा। हंस बहुत बुद्धिमान थे। वे कछुए को अक्सर नई नई ज्ञान की बातें और साधु संतों की कहानियां सुनाते। हंस तो दूर देशों में भी घूमते रहते थे, इसलिए जगह जगह की नई नई बातें कछुए को बताते। कछुआ बहुत उत्सुकता से उनकी बातें सुनता। वैसे तो कछुवा सीधा साधा था, पर कछुए को हर बात के बीच में टोका-टाकी करने की गंदी आदत थी। अपने अच्छे स्वभाव के होने के कारण हंस उसकी इस आदत का बुरा नहीं मानते थे। परन्तु उन्हें यह आदत ठीक नहीं लगती थी। उन तीनों की मित्रता बढती गई और हंसी खुशी से समय बीत रहा था।
परंतु एक बार पूरे साल बारिश नहीं आई और भयंकर सुखा पडा। पूरी बरसात के मौसम में भी पानी नहीं बरसा। तालाब का पानी धीरे धीरे सूखने लगा। जंगल में जानवर मरने लगे, मछलियां भी तडप-तडपकर मर गईं। तालाब का पानी तेजी से सूखने लगा। एक समय ऐसा भी आया कि तालाब में खाली कीचड ही बच गया। कछुआ के ऊपर भी जान का संकट आ गया। जीवित रहने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था।यदि वहीं सूखे तालाब में पडा रहता है तो कछुए की मृत्यु निश्चित थी। हंस जो की बुद्धिमान थे, अपने मित्र को इस संकट से बचाने का उपाय सोचने लगे। वे अपने मित्र कछुए को दिलासा देते कि कोई रास्ता निकलेगाऔर उसे साहस से काम की सलाह देते। हंस दूर-दूर तक उडकर समस्या का हल ढूढ़ने का प्रयास करने लगे। एक दिन हंसो को दूर एक पानी से भरी झील दिखाई दी। वे कछुवे के पास आये और उससे कहा “मित्र, यहां से पचास कोस दूर एक झील हैं।उसमें बहुत पानी हैं ,तुम वहां मजे से रह सकोगे।” कछुआ यह सुनकर रुआंसा होकर बोला “पचास कोस दूर? इतनी दूर जाने में मुझे कई महीनों लगेंगे। इस गर्मी के मौसम में इतनी दूर जाते जाते तो मैं मर ही जाऊंगा।”
कछुए की बात बिल्कुल सही थी। हंसो ने भी काफी सोचा और अपनी तीव्र बुद्धि से एक नायाब तरीका सोच निकाला।
वे एक मजबूत लकडी उठाकर लाए और कछुवे को समझाते हुए कहा- “मित्र, हम दोनों अपनी चोंच में इस लकडी के दोनों सिरे पकडकर एक साथ उडेंगे। तुम इस लकडी को बीच में मुंह से पकड़कर रखना। इस प्रकार हम उड़कर तुमको आसानी से उस झील तक पहुंचा देंगे । उसके बाद तुम उस झील में आराम से जीवन व्यतीत करना। साथ में उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा- “परन्तु याद रखना, उड़ान के दौरान किसी भी सूरत में अपना मुंह न खोलना, वरना बहुत ऊंचाई से गिर पडोगे और जान गंवा बैठोगे।”
कछुए को तो जीवन दान मिल रहा था, सो उसने वादा किया कि वह जैसा कहा है, वैसा ही करेगा और हामी में सिर हिलाया। फिर दोनों हंसों ने लकड़ी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़ा। बीच में कछुए ने अपने मुँह से लकडी को पकड़ लिया और हंस उस कछुए को लेकर उड चले। उड़ते हुए वे एक कस्बे के ऊपर से जा रहे थे कि नीचे खडे बच्चों ने आकाश में दो हंसों के कछुए को लकड़ी के साथ उड़ते देखा तो अचरज में पड़ गए। सब एक दूसरे को ऊपर आकाश का यह अद्धभुत दॄश्य दिखाने लगे। अब तो गांव के सभी लोग दौड-दौडकर अपनी छतों पर निकल आए ,ऊपर देखने लगे और खूब जोर जोर से चिल्लाने लगे। कछुए की नजर नीचे उन सभी अति उत्साहित लोगों पर पडी।
उसे अचरज़ हुआ कि उन्हें इतने लोग देख रहे हैं और उत्साहित होकर शोर मचा रहे हैं। वह अपने मित्रों की चेतावनी भूल गया और जोश में आकर चिल्लाया “देखो, कितने लोग हमें देख रहे है!” मुंह के खुलते ही लकड़ी उसके मुँह से छूट गयी। वह तेजी से जमीन की ओर गिरने लगा। इतनी ऊंचाई से गिरने पर उसकी मृत्यु हो गई , यहां तक कि उसकी हड्डी-पसली का भी पता नहीं लगा।
इस कहानी से क्या सीखें: Management Lessons to be Learnt:
1 #Keep your focus on your big goal.
2 #Do not get distracted with unnecessary or unimportant events in the process of achieving your goals.
3 #Speak only when required, over or irrelevant speaking may ruin your chances of success.
4 #Always listen to the advice of your wise friends and well wishers.
Very nice message in the story. Thanks for Panchatantra Story & Management Lessons.
Tks