November 24, 2024

Panchatantra Story : The Story of the Blue Jackal & Management Lessons नीले धूर्त सियार की कहानी : (मित्रभेद ) #पंचतंत्र #panchatantra

पुराने समय की बात हैं कि एक सियार जंगल में रहता था। एक दिन वह पुराने व बहुत बड़े पेड के नीचे आराम कर रहा था कि तेज हवा के झोंके आने लगे और वह पेड़ सियार के ऊपर गिर पड़ा। जिस कारण सियार बुरी तरह घायल हो गया। वह दर्द के मारे कराहने लगा और मुश्किल से घिसट-घिसट कर अपनी मांद तक पहुंचा। कई दिन तक मांद में पड़ा रहा। अब उसे बहुत भूख लग रही थी। कुछ न खाने के कारण उसका शरीर कमज़ोर हो गया था । वह अपनी मांद से बाहर आया तो उसे एक खरगोश दिखाई दिया और वह उसे पकड़ने के लिए वह दौड़ा। सियार बहुत समय से भूखा होने से बहुत कमजोर हो गया और थककर रुक गया।  इसी तरह से काफी कोशिश के बाबजूद कोई भी शिकार नहीं पकड़ सका। सियार विचार करने लगा कि इस तरह से वह शिकार नहीं कर पा रहा था। उसे भूखों मरने की नौबत आने वाली है। अब क्या किया जाए? वह इधर उधर घूमकर कोई मरा जानवर ढूंढने लगा , परन्तु उसके हाथ कुछ नहीं लगा। अब वह नजदीक की बस्ती की ओर चल पड़ा। बस्ती में आकर वह किसी मुर्गी या उसके बच्चे को पकड़ने की जुगत में इधर-उधर गलियों में घूमने लगा। तभी गली के सभी कुत्ते सियार को देखकर भौं-भौं करते उसके पीछे दौड़ पड़े। सियार को जान बचाने के लिए गलियों में घुसकर इधर उधर भागने लगा।परन्तु कुत्ते गली-गली से परिचित थे। सियार के कमज़ोर शरीर में ताकत खत्म होती लग रही थी। एक घर के पीछे के आँगन में एक बडा ड्रम दिखा। वह जान बचाने के लिए तेजी से ड्रम के अंदर कूद पडा। यह ड्रम कपड़े रँगने वाले का था ,जिसमे कपडे रंगने के लिए नीला रंग घोल कर रखा था।

कुत्तों को सियार का पता नहीं चला और वे आगे भाग गए। सियार सांस रोककर रंग के घोल के ड्रम में डूबा रहा। वह केवल सांस लेने के लिए मुँह बाहर निकालता। जब उसे यकीन हो गया कि अब ख़तरा टल गया है तो वह ड्रम से बड़ी मुश्किल से बाहर निकला। वह रंग में बुरी तरह भीग चुका था। जंगल में पहुंचकर उसने देखा कि उसके पैर नीले रंग के हो गए हैं, पूरा शरीर का रंग नीला हो गया है। उसने देखा कि उसके नीले रंग को जो भी जानवर देखता, वह डर जाता। यह देखकर कि सभी जानवर उसके नए नीले रंग वाले रूप से खौफ खा रहे हैं, सियार दिमाग में एक कुटील योजना बनाने लगा।

रंगे सियार ने डरकर भागते जानवरो को अपनी आवाज को भारी बनाकर बोला- भाइओ, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। सुनो, ध्यान से मेरी बात सुनो।मेरी बात सुनो।’
अब सभी भागते जानवर सहम कर रुक गए।

सियार ने गम्भीर चेहरा बनाया और बोला ‘देखो-  देखो मुझे भगवान जी ने ऐसा रंग रूप देकर धरती पर भेजा है।भगवान ने मुझे एक खास आदेश देकर तुम्हारे पास भेजा हैं। तुम जंगल के सभी जानवरों को बुला कर लाओ , मैं तुम सभी को भगवान का संदेश सुनाऊगा।

रंगे सियार की बातों से सभी जानवर प्रभावित हुए और सभी जल्दी से एकत्रित हो गए। रंगा सियार एक ऊंचे पत्थर पर चढकर बोला,- ‘हे जंगल के वन्य प्राणियो, मैं ब्रह्मलोक से आया हूँ, भगवान ने मुझे खुद अपने हाथों से इस रंग रूप का प्राणी बनाकर आपके पास भेजा है। यह भी आदेश दिया है कि तुमको धरती में जाकर जानवरों का राजा बनकर उनका कल्याण करना है। तुम सम्राट नीलचन्द्र के नाम से जाने जाओगे। अतः आज से मैं तुम्हारा राजा हूँ और अब तुम लोग अनाथ नहीं रहे। मेरे राज्य में निर्भय होकर जीवन यापन करो।

सभी जानवर वैसे ही सियार के अजीब रंग से विस्मित थे। भगवान के आदेश को सुनकर तो शेर, बाघ व चीते आदि सभी जानवर सकते में आ गए। सभी जानवरों ने तुरंत रंगे सियार को अपना सम्राट मान लिया। सम्राट नीलचद्र की जय के नारों से सारा जंगल गूंज उठा। सारे जानवर खुशी से नाचने लगे। फिर बूढे हाथी ने सभी को शान्त किया और हाथ जोड़कर रंगे सियार के सामने सिर झुकाकर कहा ‘ सम्राट नीलचद्र की जय हो, अब हमें बताइए कि हम अपने सम्राट के लिए क्या करें?

रंगा सियार सम्राट की व्यहवार करते हुए, अपना पंजा उठाकर बोला ‘तुम्हें अपने सम्राट की खूब सेवा और आदर करना चाहिए। सम्राट की सुख सुविधा का पूरा ख्याल रखना चाहिये। खाने-पीने का शाही इंतजाम होना चाहिए।’ शेर और अन्य जानवरों ने सिर झुकाकर कहा ‘महाराज, जैसा आप चाहेंगें वैसा ही होगा। आपकी सेवा करके हम सभी धन्य हो जायेंगे। अब तो रंगे सियार के मजे आ गए। वह सम्राट नीलचन्द्र बनकर शाही ठाट बाट से जीवन व्यतीत करने लगा। राजसी शान बान से सियार मोटा ताज़ा हो गया।

सभी जानवर तन मन से रंगे सियार को राजा मानकर सेवा करने लगे। रंगे सियार जब भी माँस खाने की इच्छा जाहिर करता, शेर, बाघ, चीते उसके लिए स्वादिष्ट माँस का इंतजाम तुरंत कर देते।जब रंगे सियार का घूमने का मन करता तो हाथी आगे-आगे चलता और शेर, चीते उसके पीछे पीछे बाडी गार्ड की तरह चलते।

रोज सम्राट नीलचन्द्र का दरबार भी लगता। रंगे सियार ने शुरू में एक चालाकी की थी कि सम्राट बनते ही सियारों को शाही आदेश जारी कर उस जंगल से भगा दिया था क्योंकि उसे अपनी जाति के सियारों द्वारा पहचान लिए जाने का ख़तरा था।

बसंत ऋतु में मौसम सुहावना था, नीला सियार अपना दरबार लगाए बैठा था।वह अति प्रसन्न था। तभी उसे दूर से कुछ सियारों के द्वारा अपनी बोली में हुआ-हुआ चिल्लाने की आवाजें सुनाई दी। वह यह भूल गया कि वह सम्राट नीलचन्द्र बना हुआ है।अपने साथियों की आवाजें सुनकर वह होश खो बैठा और जोश में आकर जोर-जोर से हुआ-हुआ चिल्लाने लगा। उसकी पोल सबके सामने खुल गई।सारे जानवर समझ गए कि उनका ये राजा कोई और नहीं बल्कि सियार ही है। वे सब बहुत नाराज हुए। गुस्से में आकर उन सबने मिलकर सियार की अच्छी पिटाई की और उसको मौत के घाट उतार दिया।

#Management Lessons learnt from the story:

1- #True nature can’t be hidden for long.

2- #Excessive greed is always harmful.

3- #One who abandons one’s own folk will perish.

******॥॥॥॥॥*****

Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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