वर्तमान समय में सभी लोग अपने में ही व्यस्त हैं। सब अपनी जिंदगी की जद्दोजहद में मशगूल हैं। जिंदगी की चूहा दौड़ में हम self centred हो गए हैं। अपने साथियों उर पड़ोसियों की समस्याओं में हम शरीक नहीं होते हैं। हमें लगता है यह उनकी problem है, इससे मुझे क्या?आज के हालात को दर्शाने वाली एक कहानी सुनते हैं।
एक *चूहा* एक घर में बिल में रहता था। यह घर कसाई का था। वह रोज उनके घर में रखा अनाज व खाना रात में चुपके से खा जाता था। कभी कभी उसके दोस्त भी आ जाते और रात को खूब धमाल मचाते।उनसे कसाई बहुत परेशान आ चुका था।
एक दिन *चूहे* ने देखा कि कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि आज मजा आएगा लगता है, खाने का स्वादिष्ट सामान है।
परंतु जब उसने समान को देखा तो उसके होश उड़ गए – यह तो *चूहेदानी* थी।
चूहा काफ़ी डर गया। उसको लगा इस घर में अब उसकी जान को खतरा है।ख़तरे का आभास होने पर वह दौड़ा दौड़ा घर के पिछवाड़े पहुंचा ,वहाँ *कबूतर* बैठा था, उसने कबूतर को बताया कि कसाई के घर में चूहेदानी आ गयी है।
कबूतर ने चूहे को डरा देखकर उसका मज़ाक उड़ाया और कहा कि मुझे इससे क्या? कौनसा उस में मुझे फँसना है?
कबूतर के रुख से चूहे को बड़ा बुरा लगा। तभी उसे सामने मुर्गा आता दिखाई दिया । चूहे ने चूहेदानी वाली बात *मुर्गे* को भी बताई।
मुर्गे ने चूहे की बात का मजाक उड़ाया और कहा… चूहे महाशय जी, तुम जानो, ये मेरी problem नहीं है।
यह सुनकर चूहे को बहुत निराशा हुईऔर वह हताश हो गया। तभी उसको बकरे की याद आई वह भागा भागा घर के बाहर बाड़े में गया। वहाँ बकरा घास खा रहा था। उसने बकरे को भरे मन से चूहेदानी वाली बात बताई। बकरे ने बिना कोई सहानुभूति जताये जोर जोर से हँसने लगा। बकरे के व्यहवार से निराश होकर चूहा वापस अपने बिल में लौट आया। सभी जानवरों के रूखे व्यवहार को देखते हुए उसने यह घर छोड़ने का निर्णय ले लिया और वहाँ से चल पड़ा।
उसी रात चूहेदानी को लगाकर कसाई और उसकी पत्नी चूहे के फसनेका इंतज़ार करने लगे। थोड़ी देर बाद चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई। असल में उस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था। खटाक की आवाज सुनकर कसाई की पत्नी खुश हो गई और वह अंधेरे में ही चूहेदानी को टटोलने लगी।
अँधेरे में साँप की पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया। साँप के जहर से कसाई की पत्नी की <span;>तबीयत बिगड़ने लगी । कसाई ने तुरंत हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे कुछ दवाई दी और कसाई की पत्नी को कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी। कसाई ने तुरंत कबूतर को पकड़ा।
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था। उसका सूप कस्सी की पत्नी को पिलाया जा रहा था।
यह बुरी खबर सुनकर उस कसाई के काफी रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे। रिश्तेदारों की खातिरदारी में अच्छे भोजन का प्रबंध किया गया और अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया।
कुछ दिनों के इलाज के बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत का आयोज़न किया। दावत में बकरे को काटा गया।
चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।
Management Lessons Learnt:-
1- अगली बार कोई पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार आपको अपनी समस्या बताता है और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये। भले ही आज यह आपकी समस्या नहीं है, परंतु आप इससे समाज के अंग के रूप में किसी न किसी तरह से जुड़े जरूर हैं।
2- यदि समाज में कोई व्यक्ति, तबका या नागरिक खतरे में है तो भविष्य में वह खतरा सारे समाज व देश के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।
3- हम सबको अपने संकुचित दायरे से बाहर निकलकर सोचना चाहिए। स्वयं को निज़ी स्वार्थों तक सीमित मत रखिये। सामाजिक बनकर एक दूसरे के दुख सुख में शामिल हों।
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