November 24, 2024

Gajraj Aur Mooshakraj #Panchtantra #managementlessonslearnt गजराज और मूषकराज-पंचतंत्र (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)

प्राचीन समय की बात है, नदी के किनारे एक सुंदर नगर बसा था। यह नगर व्यापार का केन्द्र था। दूर देशों के व्यापारी यहां व्यपार के लिए आया करते थे। फिर एक साल बहुत मूसलाधार बारिश होती रही और तट के कटाव के कारण नदी ने अपना रास्ता बदल दिया। इस कारण उस नगर के बुरे दिन आ गए। लोगों के लिए पीने का पानी न रहा और देखते ही देखते लोग वहां से पलायन करने लगे और देखते ही देखते नगर वीरान हो गया। अब वह जगह केवल चूहों के रहने लायक बच गई। सारे नगर में चूहे ही चूहे नजर आने लगे। चूहो का पूरा साम्राज्य ही स्थापित हो गया। चूहों के उस नगर में चूहों ने अपना चुना और मूषकराज को राजा की गद्दी पर सुशोभित किया। चूहों का भाग्य देखो, उनके बसने के बाद नगर के बाहर जमीन से एक पानी का स्त्रोत फूट पड़ा और वह एक बड़ा जलाशय बन गया।

नगर के बाहर कुछ ही दूर एक घना जंगल था। जंगल में बहुत सारे हाथी रहते थे। उनके राजा का नाम गजराज था ।वह बहुत ताकतवर और विशाल हाथी था। एक साल बहुत गर्मी पड़ी और जंगल क्षेत्र में भयानक सूखा पड़ गया। सारे पशु पक्षी पानी की तलाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरने लगे। बिना पानी के भारी भरकम शरीर वाले हाथियों की हालत खराब हो गई।
हाथियों के छोटे छोटे बच्चे प्यास से व्याकुल होकर चिल्ला कर दम तोड़ने लगे। हाथियों के राजा गजराज खुद सूखे की समस्या से बहुत चिंतित था । उसने अपने मित्र चील से मदद मांगी। एक दिन गजराज की मित्र चील ने आकर खबर दी कि खंडहर बने नगर के दूसरी ओर एक जलाशय हैं, जिसमें बहुत पानी है। गजराज ने चील की बताई हुई दिशा में सब हाथियों को उस जलाशय की ओर चलने का आदेश दिया। सारे हाथी पानी की आस में अपनी प्यास बुझाने के लिए चल पड़े। जलाशय तक पहुंचने के लिए उन्हें खंडहर बने नगर के बीच से गुजरना पड़ा। हाथियों के चलने से अनेकों चूहे हाथियों के पैरों के नीचे पीस कर मर गए। इस तरह हाथियों के रोज आने जाने से हजारों चूहे मारे गए। खंडहर नगर की सड़कें चूहों के खून-मांस से लथपथ हो गई। हाथी रोज उसी मार्ग से पानी पीने जाने लगे। रोज हज़ारों चूहे हाथियों के पैरों तले रौंदे जाने लगे।

इससे चूहों के राजा काफी चिंतित हो गए और अपने मंत्रियों से विचार मंथन करने लगे। सोचने-विचारने के बाद मूषकराज के मंत्रियों ने उनसे प्रार्थना की “महाराज, इस मामले में गजराज से बात करनी चाहिए। शायद इससे समस्या का हल निकल जाए।”
मूषकराज आने अंगरक्षकों के साथ हाथियों के वन में पहुंचा। एक बड़े पेड़ के नीचे हाथियों का राजा गजराज खड़ा था।
मूषकराज उसके सामने एक चट्टान के ऊपर चढा , जिससे उसकी आवाज गजराज के कानों में पहुँच सके। उसने गजराज को नमस्कार किया सुर बोला :
“ महान साम्राज्य के राजा ,गजराज को मूषकराज का नमस्कार स्वीकार हो। हे शक्तिवान हाथी, मैं एक नम्र निवेदन करना चाहता हूं।”
मूषकराज की धीमी आवाज गजराज के कानों तक नहीं पहुंच पा रही थी। इसलिये गजराज उसकी बात सुनने के लिए नीचे बैठ गया और अपना एक कान चट्टान पर चढे मूषकराज के नजदीक ले जाकर बोला “नन्हें महाराज लगता है,आप कुछ कहना चाह रहे थे। कृपा करके अपनी बात दोहरायें”
मूषकराज हाथ जोड़कर बोला “हे महान गजराज, मैं चूहों का राजा मूषकराज हूँ। हम खंडहर बनी नगरी में रहते हैं। आपके हाथी रोज पानी पीने के लिए जलाशय तक जाते हैं। इसके लिए वे खंडहर नगरी के बीच से गुजरते हैं। हर बार उनके पैरों तले कुचले जाकर हजारों चूहे मर जाते हैं। आप कृपया हमारी मदद करें जिससे यह मूषक संहार बंद हो और हमें जीवन दान मिल सके।

गजराज को यह जानकर काफी दुख और उसने दुख भरे स्वर में कहा “मूषकराज, आपकी बात सुन मुझे बहुत अफसोस हुआ। हमें पता नहीं था कि हम अनजाने में इतना बड़ा अनर्थ कर रहे हैं। आप चिंता न करें , हम पानी तक जाने का नया रास्ता ढूढ लेंगे और आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
मूषकराज कॄतज्ञता भरे स्वर में बोला “गजराज, आपने मुझ जैसे छोटे और निरीह जीव की बात को सुना और हमारी अत्यंत गंभीर समस्या का तुरंत हल निकाल दिया। आपका कोटि कोटि धन्यवाद। गजराज, कभी हमारी आवश्कयता पड़े तो सेवा का अवसर जरूर दीजियेगा।”
गजराज ने सोचा कि छोटा सा प्राणी हमारे किसी काम क्या आएगा। सो उसने केवल मुस्कुराकर मूषकराज को विदा किया।

कुछ समय के उपरांत पड़ौसी देश के राजा ने अपनी सेना में हाथियों को शामिल करने का निर्णय लिया, जिससे सेना में हाथियों का दस्ता बनाकर सेना को मजबूत बनाया जा सके। राजा ने सेना को आदेश दिया कि जंगल से हाथियों को पकड़कर लाया जाये। राजा के लोग हाथी पकड़ने जंगल में आए। उन्होंने जंगल में आकर चुपचाप कई प्रकार के जाल या ट्रैप्स बिछाये। इन ट्रैप्स में काफी सारे हाथी फँस जाते और राजा के सैनिक उनको पकड़कर ले जाते। इस प्रकार बहुत सारे हाथी पकड़ लिए गए। गजराज इस परिस्थिति से बहुत चिंता में थे। एक रात गजराज जंगल में घूम रहे थे कि उनका पैर सूखी पत्तियों के नीचे दबाकर रखे ट्रैप्स की रस्सी के फंदे में फंस जाता हैं। जैसे ही गजराज आगे बढने लगे रस्सा कस गया। रस्से का दूसरा सिरा एक पेड़ के मोटे तने से मजबूती से बंधा था। गजराज गुस्से में जोर से चिंघाड़ने लगा। उसने अपने सेवकों और साथियों को मदद के लिए पुकारा, लेकिन कोई उसके पास ट्रैप्स में फंसने के डर से नहीं आया। एक जवान जंगली भैंसा गजराज का बहुत आदर करता था क्योंकि जब वह भैंसा छोटा था तो एक बार वह एक गड्ढे में जा गिरा था और निकल नहीं पा रहा था। तब गजराज ने ही उसकी जान बचाई थी। गजराज की दर्द भरी चिंघाड़ सुनकर जवान भैंसा दौड़कर फंदे में फंसे गजराज के पास पहुंचा। गजराज की हालत देख उसे बहुत धक्का लगा।

वह बोला “यह क्या हो गया है? आप मुसीबत में है, गजराज, बताइए मैं आपको छुड़ाने के लिए क्या करुं? मैं यदि मेरी जान की भी जरूरत हो तो अपनी जान भी दे सकता हूं।” गजराज ने उसे समझाया- “तुम जवान हो बहुत तेजी से दौड़कर खंडहर नगरी जाओ और चूहों के राजा मूषकराजा को सारा हाल बताना। उनको अपने साथ लेकर जल्दी से वापस आना।उनसे कहना कि मेरी सारी आस मूषकराज पर ही टिकी है। तुम जल्दी करना क्योंकि सुबह होते ही राजा के सैनिक यहां पहुंच सकते हैं।

भैंसा अपनी पूरी ताकत से दौड़ा और मूषकराज के पास गया और उन्हे सारी बात बताई। मूषकराज तुरंत अपने तीस विशिष्ट सैनिकों के साथ लेकर जवान भैंसे की पीठ पर बैठा। जवान भैंसा उनको अपनी पीठ पर बैठाकर शीघ्र ही गजराज के पास वापस पहुंचा। मूषकराज व उनके साथ आये चूहे भैंसे की पीठ पर से कूदकर नीचे उतरे। वे फंदे की रस्सी को तेजी से कुतरने लगे। कुछ ही देर में फंदे की रस्सी को उन्होंने काट दिया और गजराज आजाद हो गए।
गजराज ने जवान भैंसे व उनके काबिल चूहों को धन्यवाद दिया।

सीखः Managent lessons learnt:
1- आपको सदा कमजोर व मुशीबत में फंसे प्राणियों की मदद करनी चाहिए।
2- कोई प्राणी कितना भी छोटा क्यों न हो उसमें कोई विशिष्ट गुण होता है। उचित समय पर उसका वह गुण आपको बड़ी मुश्किलों से छुटकारा दिला सकता है।
3- आपसी सदभाव व प्रेम सदा एक दूसरे के कष्टों को हर लेते हैं।
4-  A friend in need is a friend indeed.

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Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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