October 17, 2024

The Lion and Rabbit : Panchtantra Story & Management Lessons

चतुर खरगोश और शेर

साथियों आज आपको पंचतंत्र की एक कहानी सुनाते हैं। यह कहानी एक चतुर खरगोश की है।पुराने जमाने की बात है, एक घने जंगल में एक बहुत ताकतवर और भयानक शेर रहता था। वह जंगल में जब भी शिकार पर निकलता तो अपनी जरूरत से अधिक बहुत सारे जानवरों को मार डालता।वह अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करता। जंगल के जानवरों को यह डर सताने लगा कि अगर शेर इसी तरह जानवरों का शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर जिंदा नहीं बचेगा।सारे जंगल में जानवर शेर के डर से हमेशा डर के साये में जी रहे थे। शेर का इस तरह से बेवज़ह बहुत सारे जानवरों को मारने से रोकने के लिये कुछ उपाय करना ज़रूरी हो गया था। एक दिन जंगल के सारे जानवर एकत्र हुए और उन्होंने एक मीटिंग की। मीटिंग पर विचार किया गया कि शेर द्वारा जानवरों का अंधाधुन्द शिकार किस प्रकार से रोका जाए। अन्त में यह तय किया कि वे सब शेर के पास जाकर उनसे इस बारे में बात करेंगे।

दूसरे दिन सभी जानवर एक साथ शेर के पास गए। सभी जानवरों को एक साथ अपनी ओर आते देख शेर थोड़ा घबरा गया और उसने गरजकर पूछा, ‘‘क्या बात है ? तुम सब यहां क्यों आये हो ?’’ जानवर के दल के नेता ने कहा, ‘‘महाराज, हम आपके पास यह प्रार्थना करने आये हैं कि आप इस जंगल के राजा है और हम सब आपकी प्रजा हैं। जब आप शिकार करने निकलते हैं तो बहुत सारे जानवरों को एक साथ मार डालते हो और उन सबको आप एक साथ खा भी नहीं पाते हो। इस तरह से जंगल में हमारी संख्या लगातार कम होती जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ ही दिनों में जंगल में आपके सिवाय और कोई भी जानवर नहीं बचेगा। आपका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है। वैसे भी प्रजा के बिना राजा का कोई मायने नहीं होता।यदि हम सभी मर जायेंगे तो आप भी राजा नहीं रहेंगे। हमारी इच्छा है कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। अतः आपसे हमारी विनती है कि आप अपनी गुफा में ही रहा करें। हर रोज स्वयं आपके भोजन के लिए एक जानवर भेज दिया जायेगा। इस तरह से आपको भी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और आपको अपना भोजन भी मिल जाएगा राजा और प्रजा दोनो ही आराम से जीवन व्यतीत कर सकेंगे।’’ शेर को लगा कि जानवरों की बात में दम है। उसने थोड़ी देर सोचा, फिर बोला अच्छी बात है, मैं तुम्हारे सुझाव को मान लेता हूं। परन्तु याद रखना, अगर किसी भी दिन तुमने मेरे खाने के लिये पूरा भोजन नहीं भेजा तो मैं जितने जानवर चाहूंगा, मार डालूंगा।’’ जानवरों के पास तो और कोई चारा नहीं। इसलिये उन्होंने शेर की शर्त मान ली और अपने-अपने घर चले गये।

अब हर रोज शेर के खाने के लिये एक जानवर को भेजा जाता। इसके लिये जंगल में रहने वाले सब जानवरों ने एक roster बनाया , जिसके अनुसार एक जानवर को बारी-बारी से शेर के भोजन के लिए चुना जाता था।

कुछ समय बाद खरगोशों की बारी भी आ गई। शेर के भोजन के लिये एक नन्हें से खरगोश को चुना गया। वह खरगोश दिखने में छोटा था, परन्तु बहुत ही चतुरऔर बुद्धिमान भी था। नन्हे खरगोश ने सोचा, आज मरना तो है ही। सो अपनी जान बचाने का कोई न कोई उपाय सोचना चाहिये। शेर के हाथों मरने की मूर्खता नहीं करूंगा। उसने सोचा कोई ऐसी तरकीब ढूंढ़नी चाहिये जिसे सभी को इस शेर से सदा के लिए छुटकारा मिल जाये। आखिर उसने एक तरकीब सोच ही निकाली।
खरगोश धीरे-धीरे आराम से शेर की गुफा की ओर चल पड़ा। जब वह शेर के पास पहुंचा तो काफी देर हो चुकी थी।

शेर को बहुत भूख लग रही थी। वह बेसब्री से जानवर का इंतजार कर रहा था। जब उसने एक छोटे से खरगोश को अपनी ओर आते देखा तो गुस्से से आग बबूला हो उठा और दहाड़ कर बोला, ‘‘किसने तुम्हें भेजा है ? एक तो इतने छोटे हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो। जिन बेवकूफों ने तुम्हें भेजा है मैं उन सबकी खबर लूंगा। उनका काम तमाम न किया तो मेरा नाम भी शेर नहीं।’’

नन्हे खरगोश ने अदब से ज़मीन तक झुककर सलाम किया और बोला ‘‘महाराज, आप कृप्या पहले मेरी आपबीती सुन लें तो मुझे या और जानवरों को दोष नहीं देंगे। वे तो जानते थे कि एक छोटा सा खरगोश आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, ‘इसलिए उन्होंने छह खरगोश भेजे थे। लेकिन रास्ते में हमें एक दूसरा शेर अचानक से मिला। वह पांच खरगोशों को मारकर खा गया। मैं बड़ी मुश्किल से आप तक पहुचा हूँ।’’

यह सुनते ही शेर दहाड़कर बोला, ‘‘तुमने क्या कहा ? दूसरा शेर ?।वह भी इस जंगल मे? कौन है वह ? तुमने उसे कहां देखा ?’’

‘‘महाराज, वह तो बहुत ही बड़ा और बलशाली शेर है’’, खरगोश ने कहा, ‘‘वह ज़मीन के अन्दर बनी एक बड़ी गुफा में से निकला था। पहले उसने पांचों खरगोशों को खा गया। वह तो मुझे ही मारने जा रहा था। पर मैंने उससे कहा, ‘सरकार, आप मेरी बात सुने। आपको यह पता नहीं है कि आपने क्या गुस्ताखी कर दी। हम सब अपने जंगल के राजा के भोजन के लिये जा रहे थे, लेकिन आपने उनका सारा खाना खा लिया है। हमारे राजा को इस बात का पता चलता है तो वे यहाँ आकर आपको मार डालेंगे।’

‘‘इस पर उसने पूछा, ‘कौन है तुम्हारा राजा ?’ मैंने जवाब दिया, ‘हमारा राजा जंगल का सबसे महान और शक्तिशाली शेर है।’

‘‘महाराज, ‘मेरे ऐसा कहते ही वह गुस्से में चिल्लाकर बोला -“बेवकूफ इस जंगल का राजा सिर्फ मैं हूं। यहां सब जानवर मेरी प्रजा हैं। मैं उनके साथ जैसा चाहूं वैसा कर सकता हूं। जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो उस डरपोक को मेरे सामने हाजिर करो। मैं उसे बताऊंगा कि इस जंगल का असली राजा कौन है।’ महाराज इतना कहकर उस शेर ने मुझको छोड़ दिया और आपको लाने के लिए मुझे यहां भेज दिया।’’

खरगोश की बात सुनकर शेर गुस्से से आग बबूला हो गया और वह बार-बार दहाड़ मारने लगा। उसकी भयानक गरजना से सारा जंगल काँपने लगा। वह बोला-‘‘मुझे जल्दी से मूर्ख शेर के पास ले चलो, में उसे मेरे राज्य में आने का दंड दूँगा। जब तक मैं उसे जान से न मार दूँगा मुझे चैन नहीं मिलेगा।’’ ‘‘बहुत अच्छा महाराज,’’ खरगोश ने कहा ‘‘महाराज आपने ठीक कहा, उसने जो हिमाकत की है उसका दंड मौत ही है।’’

‘‘चलो, जल्दी चलो, देर मत करो ,रास्ता दिखाओ” -शेर ने कहा। खरगोश आगे आगे चलते हुए शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया और बोला, ‘‘महाराज, वह दुष्ट शेर ने ज़मीन के नीचे किला बना रखा और उसी में रहता है। आप जरा सावधान से रहिए वो खतरनाक भी है। शेर ने कहा, ‘‘तुम यह बताओ कि वह है कहाँ है?’’
‘‘पहले जब मैंने उसे देखा था तब तो वह यहीं बाहर खड़ा था। लगता है आपको आता देखकर वह डर के मारे किले में घुस गया। आइये मैं आपको उसका किला दिखाता हूँ।’’
खरगोश ने कुएं के नजदीक गया और शेर को अन्दर झांकने के लिये कहा। ज्योंही शेर ने कुएं के अन्दर झांका तो उसे कुएं के पानी में अपनी परछाईं दिखाई दी।उसने सोचा यही वह बदमाश शेर है और वह बहुत ज़ोर से दहाड़ा। उसकी आवाज कुएँ मे echo होकर वापस शेर को सुनाई दी और उस गूंज को सुनकर उसने समझा कि दूसरा शेर भी उस पर दहाड़ रहा है। वह अत्यंत गुस्से में आ गया और दुश्मन को तुरंत मार डालने के इरादे से वह फौरन कुएं में कूद पड़ा।कुंआ काफी गहरा था, कूदते ही वह कुएं की दीवार से टकराकर पानी में गिरा और डूबकर मर गया।

इस तरह अपनी सूझ बूझ औऱ चतुराई से खरगोश ने निर्दयी शेर को मौत की नींद सुला दिया। फिर वह अपने घर लौटा। उसने जंगल के जानवरों को शेर के मारे जाने की कहानी को विस्तार से सुनाया। निर्दयी शेर के मारे जाने की खबर से जंगल के सारे जानवर खुश हो गए। सब मिलकर नाचने और झूमने लगे। जंगल के सभी जानवर खरगोश को धन्यवाद देने लगे और उसकी जय-जयकार करने लगे।

#कहानी से सीख #Management Lessons to be learnt

#Do not misuse your position and authority।
अपनी ताकत और अधिकारों का दुरूप्रयोग न करें।

#Wisdom is stronger than physical strength. Use your wisdom wisely in crisis situation.
बुद्धिमत्ता किसी भी शारीरिक शक्ति से अधिक शकितशाली है। घोर संकट की परिस्थितियों में हमें सूझ बूझ और बुद्धि से काम लेना चाहिए।

#Intelligence wins over might. It is our intelligence which matters not physical strength.
सूझ बूझ और चतुराई से काम लेकर हम बड़े से बड़े संकट से उबर सकते हैं और अपने से शक्तिशाली शत्रु को भी पराजित कर सकते हैं।

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आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका

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Bhandari.D.S.

Bhandari.D.S.

He is a passionate inspirational writer. He holds Masters degree in Management and a vast administrative and managerial experience of more than three decades. His philosophy : "LIFE is Special. Be passionate and purposeful to explore it, enjoy it and create it like an artefact".

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