हर इंसान जिंदगी में सफल होने की चाह रखता है। जिंदगी में सफलता पाने के लिए व्यक्ति हर वक़्त प्रयासरत रहता है। सफलता एक सामान्य शब्द है, परंतु इसके मायने हर व्यक्ति के लिए अलग अलग है। बहुत बार एक ही व्यक्ति के लिए अलग अलग समय में सफलता के मायने बदल जाते हैं। हमारी जिंदगी में जिस चीज़ की कमी होती है, हम उसी को पाने की चाह रखते हैं। इसलिए जिंदगी में हमारे लक्षय समय के साथ बदलते रहते हैं।we keep changing our goal posts repeatedly during our lifetime.
सफलता शब्द सुनते ही हमारा ध्यान money, job, possessions, फेम, इन्फ्लुएंस आदि पर चला जाता है! ज्यादातर व्यवसायिक जीवन के शुरुआती सालों में हमारी prority मुख्य रूप से materialistic रहती है। हमारी society में भी सफलता को अक्सर इन्ही चीजों से measure किया जाता है। जब हम materialistic success में एक मुकाम पर पहुंचते हैं तो हमारी priorities higher values जैसे kindness, thoughtfulness, empathetic etc. की ओर शिफ्ट हो जाती है। इस value system के द्वारा हम दूसरे लोगों के जीवन में positive impact create करना चाहते हैं। उनको खुशी देना चाहते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि success का main criteria यह है कि हम अपने जीवन मे कितने happy है और happiness को कितना share कर सकते हैं। यदि हमने बहुत ज्यादा धन कमा लिया हो, परन्तु हमारा स्वास्थ ठीक नहीं है, हम चिंता के कारण ठीक से सो भी नहीं सकते हैं। तो उस materialistic success के कोई मायने नहीं रह जाते हैं। मुख्य बात यह है कि हम जिंदगी में कितने खुश हैं। हम अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ कितने खुश हैं।
जिंदगी में successful life का moto बहुत ही simple है:
Learn ( सीखना ) / Earn ( कमाना ) / Return ( वापस करना )
जिंदगी के शुरुआती वर्षों में हम घर, परिवार, स्कूल, कॉलेज, समाज से सीखते (learn) हैं। इस काबिल बनते हैं कि अच्छा जीवन जीने के लिए Earn ( कमा ) सके। फिर हम समाज में रहकर अपने व परिवार के लिए धन, मान सम्मान, इज्जत आदि Earn करते हैं। जिंदगी के later stage में हमको Return Mode में आ जाना चाहिए। जो कि ज्यादातर लोग follow नहीं कर पाते। इसमें हमारा मुख्य फ़र्ज यह होना चाहिये कि जो ज्ञान, धन , अनुभव हमने समाज में रहकर समाज से अर्जित किया है, उसे needy लोगों, underpriviledged section के साथ बांटे या share करें। इस तरह से हमें real happiness सच्चे सुख की अनुभूति होती है। हमें eternal satisfaction मिलता है।
Return mode में काम करने के लिए हमें बहुत धन खर्च करने की जरूरत नहीं है। बस चाहिए कुछ कर गुजरने का जज्बा! आपको हैदराबाद के Gangadhara Tilak Katnam की कहानी सुनाते हैं। रेलवे की नौकरी से रिटायर होने के बाद आज भी 67 वर्ष के गंगाधर जी सुबह उठकर घर से निकल जाते हैं, एक mission पर – सड़कों के गड्ढ़ों को भरना, जिससे accident न हो और सड़के सुरक्षित रहें।उनकी कार की पीछे की सीट पर कुछ टार कोल् और रोड़ी मिक्स से भरे gunny बैग्स रहते हैं। सड़क में जहाँ भी गड्डा दिखाई देता है , वह उसको भरने में जुट जाते हैं। शुरू में उन्हें अपनी पत्नी के विरोध का भी सामना करना पड़ा। परन्तु अब कुछ सॉफ्टवेयर engineers और लोकल सिटीजन्स ने भी इस श्रमदान में शामिल होना शुरू कर दिया है। इसी तरह के कई उदाहरण हैं। कहने का मतलब है कि हममें एक चाह होनी चाहिए समाज की भलाई की। आप पूरे समाज की बुराइयों को नहीं मिटा सकते। परंतु किसी एक चीज़ ,एक कमी ,एक बुराई को लेकर उस पर काम करें। यह सिर्फ काम नहीं होगा बल्कि एक mission होगा।आपको उसमें असीम आनंद की सुखद अनुभूति होगी और यही अनुभूति जिंदगी की सच्ची सफलता का पैमाना है।
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आप जीवन में सफ़ल हों।
सस्नेह आपका
#Bhandari.D.S.